गाजर की खेती से जुड़े महत्वपूर्ण कार्यों की विस्तृत जानकारी

गाजर की पैदावार कच्चे के रूप में सेवन करने के लिए किया जाता है। गाजर एक बेहद ही लोकप्रिय सब्जी फसल है। लोगों द्वारा इसके जड़ वाले हिस्से का उपयोग खाने के लिए किया जाता है। जड़ के ऊपरी हिस्से को पशुओ को खिलाने के लिए उपयोग में लाते हैं। इसकी कच्ची पत्तियों को भी सब्जी तैयार करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। गाजर के अंदर विभिन्न प्रकार के गुण विघमान होते हैं, जिस वजह से इसका उपयोग जूस, सलाद, अचार, मुरब्बा, सब्जी एवं गाजर के हलवे को अधिक मात्रा में बनाने के लिए करते हैं। यह भूख को बढ़ाने एवं गुर्दे के लिए भी बेहद फायदेमंद होती है। इसमें विटामिन ए की मात्रा सबसे ज्यादा उपस्थित होती है। इसके साथ ही इसमें विटामिन बी, डी, सी, ई, जी की भी पर्याप्त मात्रा मौजूद होती है। गाजर में बिटा-केरोटिन नामक तत्व उपस्थित होता है, जो कैंसर की रोकथाम में ज्यादा लाभकारी होता है। पहले गाजर केवल लाल रंग की होती थी। लेकिन वर्तमान समय में गाजर की विभिन्न उन्नत किस्में हैं, जिसमें पीले एवं हल्के काले रंग की भी गाजर पायी जाती है। भारत के लगभग समस्त क्षेत्रों में गाजर की पैदावार की जाती है।

गाजर की पैदावार से पहले खेत की तैयारी

गाजर का उत्पादन करने से पहले खेत की बेहतरीन ढ़ंग से गहरी जुताई कर दी जाती है। इससे खेत में उपस्थित पुरानी फसल के अवशेष पूर्णतय बर्बाद हो जाते हैं। जुताई के उपरांत खेत में पानी लगाकर पलेव कर दिया जाता है, इससे भूमि की मृदा नम हो जाती है। नम जमीन में रोटावेटर लगाकर दो से तीन बारी तिरछी जुताई कर दी जाती है। इससे खेत की मृदा में उपस्थित मिट्टी के ढेले टूट जाते हैं और मिट्टी भुरभुरी हो जाती है। भुरभुरी मिट्टी में पाटा लगाकर खेत को एकसार कर दिया जाता है।

गाजर के खेत में उवर्रक कितनी मात्रा में देना चाहिए

जैसा कि हम सब जानते हैं कि किसी भी फसल की बेहतरीन पैदावार के लिए खेत में समुचित मात्रा में उवर्रक देना आवश्यक होता है। इसके लिए खेत की पहली जुताई के उपरांत खेत में 30 गाड़ी तक पुरानी गोबर की खाद को प्रति हेक्टेयर के अनुरूप देना होता है। इसके अतिरिक्त खेत की अंतिम जुताई के समय रासायनिक खाद के तोर पर 30 KG पोटाश, 30 KG नाइट्रोजन की मात्रा का छिड़काव प्रति हेक्टेयर के अनुसार करना होता है। इससे उत्पादन काफी ज्यादा मात्रा में अर्जित होती है। ये भी पढ़े: गाजर का जडोंदा रोग एवं उनके उपाय

गाजर की खेती का समय, तरीका एवं बुवाई

गाजर के बीजों की बुवाई बीज के रूप में की जाती है। इसके लिए एकसार जमीन में बीजो का छिड़काव कर दिया जाता है। एक हेक्टेयर के खेत में लगभग 6 से 8 KG बीजों की जरूरत पड़ती है। इन बीजों को खेत में रोपने से पूर्व उन्हें उपचारित कर लें। खेत में बीजों को छिड़कने के उपरांत खेत की हल्की जुताई कर दी जाती है। इससे बीज खेत में कुछ गहराई में चला जाता है। इसके उपरांत हल के माध्यम से क्यारियों के रूप में मेड़ो को तैयार कर लिया जाता है। इसके पश्चात फसल में पानी लगा दिया जाता है। गाजर की एशियाई किस्मों को अगस्त से अक्टूबर माह के बीच लगाया जाता है। साथ ही, यूरोपीय किस्मों की बुवाई अक्टूबर से नवंबर महीने के बीच की जाती है।

गाजर फसल की सिंचाई कब की जाती है

गाजर की फसल की प्रथम सिंचाई बीज रोपाई के शीघ्र बाद कर दी जाती है। इसके पश्चात खेत में नमी स्थिर रखने के लिए शुरुआत में सप्ताह में दो बार सिंचाई की जाती है। वहीं, जब बीज जमीन से बाहर निकल आए तब उन्हें सप्ताह में एक बार पानी दें। एक माह के बाद जब बीज पौधा बनने लगता है, उस दौरान पौधों को कम पानी देना होता है। इसके उपरांत जब पौधे की जड़ें पूर्णतय लंबी हो जाये, तो पानी की मात्रा को बढ़ा देना होता है।

गाजर की फसल में खरपतवार नियंत्रण किस प्रकार किया जाता है

गाजर की फसल में खरपतवार पर काबू करना बेहद आवश्यक होता है। इसके लिए खेत की जुताई के समय ही खरपतवार नियंत्रण दवाइयों का उपयोग किया जाता है। इसके उपरांत भी जब खेत में खरपतवार नजर आए तो उन्हें निराई – गुड़ाई कर खेत से निकाल दें। इस दौरान अगर पौधों की जड़ें दिखाई देने लगें तो उन पर मिट्टी चढ़ा दी जाती है। ये भी पढ़े: आगामी रबी सीजन में इन प्रमुख फसलों का उत्पादन कर किसान अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं

गाजर की उपज एवं लाभ क्या-क्या होते हैं

गाजर की उम्दा किस्मों के आधार पर ज्यादा मात्रा में पैदावार प्राप्त की जा सकती है, जिससे किसान भाई एक हेक्टेयर के खेत से लगभग 300 से 350 क्विंटल का उत्पादन प्राप्त कर लेते हैं। कुछ प्रजातियां ऐसी भी हैं, जिनसे सिर्फ 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार अर्जित हो पाती है। कम समयांतराल में उपज प्राप्त कर किसान भाई बेहतरीन मुनाफा भी कमा लेते हैं। गाजर का बाजारी भाव शुरुआत में काफी अच्छा होता है। यदि कृषक भाई ज्यादा उत्पादन प्राप्त कर गाजर को समुचित भाव पर बेच देते हैं, तो वह इसकी एक बार की फसल से 3 लाख तक की आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। गाजर की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद होती है।